नई दिल्ली, 20 फरवरी 2025 – हर वर्ष 20 फरवरी को संयुक्त राष्ट्र द्वारा मनाया जाने वाला विश्व सामाजिक न्याय दिवस गरीबी, बहिष्करण और बेरोजगारी जैसी वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए एक प्रेरणास्रोत के रूप में कार्य करता है। यह दिवस समाजों के भीतर और उनके बीच एकजुटता, सद्भाव और समान अवसरों को बढ़ावा देने का आह्वान करता है।
पृष्ठभूमि एवं वैश्विक संदर्भ
संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) द्वारा 26 नवंबर 2007 को पारित संकल्प के तहत 2009 से प्रतिवर्ष यह दिवस मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य सामाजिक विकास और सामाजिक न्याय को शांति, सुरक्षा और मानवाधिकारों की आधारशिला के रूप में स्थापित करना है।
विश्व में वित्तीय संकट, असमानता और बेरोजगारी जैसी समस्याओं के बीच, यह दिवस वैश्विक अर्थव्यवस्था में सभी को समान भागीदारी के अवसर प्रदान करने की आवश्यकता को रेखांकित करता है। इसके अलावा, अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) द्वारा 2008 में अपनाई गई सामाजिक न्याय पर घोषणा इस पहल को मजबूती प्रदान करती है।
भारत में सामाजिक न्याय की विकास यात्रा
भारत में विश्व सामाजिक न्याय दिवस 2009 से मनाया जा रहा है। सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण की दिशा में भारत की यात्रा स्वतंत्रता संग्राम से लेकर आज तक निरंतर प्रगति कर रही है। संविधान में सामाजिक समानता को सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न प्रावधान किए गए हैं।
संवैधानिक प्रावधान:
- प्रस्तावना: सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय की गारंटी प्रदान करता है।
- मौलिक अधिकार (अनुच्छेद 23 और 24): मानव तस्करी, बंधुआ मजदूरी और बाल श्रम पर रोक लगाता है।
- राज्य के नीति निदेशक तत्व (DPSP):
- अनुच्छेद 38 – सामाजिक और आर्थिक असमानताओं को कम करना।
- अनुच्छेद 39 – आजीविका और उचित वेतन की समानता सुनिश्चित करना।
- अनुच्छेद 39A – कमजोर वर्गों के लिए निःशुल्क कानूनी सहायता।
- अनुच्छेद 46 – अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और कमजोर वर्गों के लिए विशेष शैक्षिक और आर्थिक सहायता।
1998 में, भारत सरकार ने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय (MoSJE) का गठन किया, जो समाज के कमजोर वर्गों को समर्थन देने के लिए प्रतिबद्ध है। वर्ष 2025-26 के केंद्रीय बजट में मंत्रालय के लिए ₹13,611 करोड़ का आवंटन किया गया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 6% अधिक है।
भारत सरकार की प्रमुख योजनाएँ
1. प्रधानमंत्री अनुसूचित जाति अभ्युदय योजना (PM-AJAY)
इस योजना के तहत अनुसूचित जाति बहुल गांवों में कौशल विकास, आय सृजन और बुनियादी ढांचे के विकास को बढ़ावा दिया जाता है। अब तक 5,051 गाँवों को आदर्श ग्राम घोषित किया गया है, और ₹26.31 करोड़ की राशि से 38 छात्रावासों का निर्माण किया गया है।
2. SRESHTA योजना
यह योजना CBSE और राज्य बोर्डों से संबद्ध निजी स्कूलों में SC छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
3. पर्पल फेस्ट (Purple Fest)
यह दिव्यांगजनों के समावेशन का महोत्सव है, जिसे 2023 से आयोजित किया जा रहा है। 2024 में इसमें 10,000 से अधिक दिव्यांगजनों और उनके संरक्षकों ने भाग लिया। इस फेस्ट के दौरान भारत न्यूरोडायवर्सिटी प्लेटफॉर्म की शुरुआत की गई।
4. राष्ट्रीय यांत्रिक स्वच्छता पारिस्थितिकी तंत्र (NAMASTE)
यह योजना स्वच्छता कर्मियों की सुरक्षा, गरिमा और स्थायी आजीविका को सुनिश्चित करने के लिए शुरू की गई है। 2024-25 से इसमें कचरा बीनने वालों को भी शामिल किया गया है।
5. SMILE योजना
यह योजना भिक्षावृत्ति मुक्त भारत (Begging-Free India) के निर्माण के लिए शुरू की गई है। 81 शहरों में लागू इस योजना के तहत अब तक 7,660 भिक्षुकों की पहचान की गई है, जिनमें से 970 का पुनर्वास किया गया है।
6. PM-DAKSH योजना
2021 में शुरू की गई इस योजना के तहत SC, OBC, EBC और DNT समुदायों के युवाओं को कौशल प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। अब तक 70% से अधिक प्रशिक्षित युवाओं को रोजगार मिल चुका है।
7. नशा मुक्त भारत अभियान (NMBA)
15 अगस्त 2020 को शुरू किया गया यह अभियान 272 उच्च-जोखिम वाले जिलों में नशीली दवाओं के उपयोग को रोकने के लिए चलाया जा रहा है। अब तक 13.57 करोड़ लोग इससे लाभान्वित हो चुके हैं।
निष्कर्ष
विश्व सामाजिक न्याय दिवस हमें यह याद दिलाता है कि असमानता और अन्याय से मुक्त समाज ही सच्ची प्रगति कर सकता है। भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाएँ समाज के कमजोर वर्गों को सशक्त बनाने और एक समतामूलक समाज बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। जैसे-जैसे हम इस लक्ष्य की ओर बढ़ रहे हैं, यह महत्वपूर्ण है कि सभी नागरिक सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने में अपनी भूमिका निभाएँ।