यमन हमले की योजनाओं पर चर्चा करने वाले सिग्नल ग्रुप चैट को लेकर बवाल

अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइक वॉल्ट्ज ने मंगलवार को कहा कि उन्होंने ही वह मैसेज ग्रुप बनाया था, जिसमें गलती से द अटलांटिक के संपादक जेफरी गोल्डबर्ग को जोड़ा गया। व्हाइट हाउस के तकनीकी विशेषज्ञ यह जांच कर रहे हैं कि गोल्डबर्ग का संपर्क इस चैट में कैसे “सक किया गया”।
ट्रंप प्रशासन पर विपक्ष का हमला
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस घटना को हल्के में लेते हुए इसे “दो महीने में हुई एकमात्र गड़बड़ी” बताया। उन्होंने कहा कि यह मामला “गंभीर नहीं था” और वे माइक वॉल्ट्ज का समर्थन जारी रखेंगे। लेकिन डेमोक्रेट्स ने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा से खिलवाड़ बताया और प्रशासन पर लापरवाही के आरोप लगाए।
कैसे हुआ यह लीक?
द अटलांटिक के अनुसार, माइक वॉल्ट्ज ने 18 शीर्ष प्रशासनिक अधिकारियों को शामिल करने वाली एक सिग्नल ग्रुप चैट बनाई, जिसमें गलती से एक पत्रकार भी शामिल हो गया। इसमें यमन के हूथी विद्रोहियों पर संभावित अमेरिकी हमले की योजना पर चर्चा की जा रही थी। इस खुलासे के बाद वॉशिंगटन के राजनीतिक हलकों में खलबली मच गई
सिग्नल ग्रुप चैट में शामिल प्रमुख अधिकारी:
- रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ
- उपराष्ट्रपति जेडी वेंस
- सीआईए निदेशक जॉन रैटक्लिफ
- राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइक वॉल्ट्ज
- व्हाइट हाउस डिप्टी चीफ ऑफ स्टाफ स्टीफन मिलर
- विदेश मंत्री मार्को रुबियो
ट्रंप प्रशासन के अनुसार, गलती एक स्टाफ सदस्य की थी जिसने गलती से गोल्डबर्ग का नंबर जोड़ दिया।
ट्रंप और प्रशासन की प्रतिक्रिया
ट्रंप ने सिग्नल के इस्तेमाल पर सफाई देते हुए कहा कि “भविष्य में हम इसे ज्यादा उपयोग नहीं करेंगे” और आदर्श स्थिति में “सभी को एक कमरे में बैठकर चर्चा करनी चाहिए, जिसमें सीसा (lead) से बनी दीवारें, छत और फर्श हो।”
माइक वॉल्ट्ज ने स्वीकार की गलती
मंगलवार रात फॉक्स न्यूज पर “द इंग्राहम एंगल” शो में माइक वॉल्ट्ज ने कहा:
“हमने गलती की, लेकिन हम आगे बढ़ रहे हैं। मैं पूरी जिम्मेदारी लेता हूँ।”

ट्रंप प्रशासन की सफाई और डेमोक्रेट्स का हमला
राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गैबार्ड और सीआईए निदेशक जॉन रैटक्लिफ ने सीनेट इंटेलिजेंस कमेटी के सामने दावा किया कि “सभी जानकारी अज्ञेय (unclassified) थी और कोई गोपनीय डेटा साझा नहीं किया गया।”
लेकिन सीनेटर जॉन ओसॉफ ने इस पर नाराजगी जताते हुए कहा:
“यह पूरी तरह से अनप्रोफेशनल है। इसमें कोई माफी नहीं आई, न ही इस गलती की गंभीरता को समझा गया।”
सीनेटर मार्क वॉर्नर ने चेतावनी दी कि “यदि यह जानकारी हूथियों तक पहुँच जाती, तो अमेरिकी सैनिकों की जान को खतरा हो सकता था।”
हिलेरी क्लिंटन ने साधा निशाना
पूर्व विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने X (ट्विटर) पर तंज कसते हुए द अटलांटिक के लेख को साझा कर आंखें घुमाने वाली इमोजी पोस्ट की और लिखा:
“आप मजाक कर रहे हैं, है ना?”
गौरतलब है कि 2016 के चुनाव प्रचार के दौरान ट्रंप ने क्लिंटन पर निजी ईमेल सर्वर से गोपनीय जानकारी साझा करने के आरोप लगाए थे, लेकिन एफबीआई ने उन्हें क्लीन चिट दी थी।
एफबीआई जांच करेगा मामला?
एफबीआई निदेशक काश पटेल ने कहा कि वह इस ग्रुप चैट लीक मामले की समीक्षा कर रहे हैं और जांच शुरू करने पर विचार किया जा रहा है।
सीनेटर रॉन वायडन ने प्रशासन की आलोचना करते हुए कहा:
“मुझे लगता है कि इस मामले में इस्तीफे होने चाहिए।”
व्हाइट हाउस की सफाई
व्हाइट हाउस ने इसे “एक संगठित राजनीतिक चाल” बताया और कहा कि “राष्ट्रपति ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिका के दुश्मनों को सबक सिखाया जा रहा है, जबकि डेमोक्रेट्स सिर्फ मुद्दों को भटकाने की कोशिश कर रहे हैं।”
सिग्नल एप और राष्ट्रीय सुरक्षा पर सवाल
सिग्नल एक एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग ऐप है, जिसका उपयोग व्हाट्सएप भी करता है। लेकिन संवेदनशील सैन्य अभियानों की चर्चा किसी सार्वजनिक उपलब्ध एप्लिकेशन पर करना कितना सुरक्षित है, इस पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
सीनेटर एंगस किंग ने आश्चर्य जताया:
“मुझे विश्वास नहीं हो रहा कि हथियार, लक्ष्य और समय-सारिणी जैसी जानकारी गोपनीय नहीं थी।
इस घटना ने ट्रंप प्रशासन की सुरक्षा तैयारियों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। विपक्ष ने इसे एक “खतरनाक लापरवाही” करार दिया है, जबकि प्रशासन इसे “एक मामूली तकनीकी त्रुटि” बताकर बचाव कर रहा है। अब देखना होगा कि यह मामला आगे क्या मोड़ लेता है और क्या वाकई कोई कार्रवाई होती है या यह सिर्फ एक और राजनीतिक विवाद बनकर रह जाता है।