यह खबर अमेरिकी पत्रिका द अटलांटिक द्वारा जारी की गई एक बड़ी सुरक्षा चूक को उजागर करती है, जिसमें ट्रंप प्रशासन के शीर्ष अधिकारियों द्वारा गलती से एक निजी चैट ग्रुप में अमेरिकी हवाई हमलों की योजनाओं को साझा किया गया|
क्या हुआ?
- Signal ऐप पर “Houthi PC small group” नामक ग्रुप चैट में अमेरिकी अधिकारियों ने हूथियों पर हवाई हमलों के समय और इस्तेमाल किए गए विमानों के प्रकारों पर चर्चा की।
- राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइकल वॉल्ट्ज ने गलती से इस ग्रुप में द अटलांटिक के संपादक जेफरी गोल्डबर्ग को जोड़ दिया।
- चैट में रक्षा सचिव पीट हेगसेथ, उप राष्ट्रपति जेडी वांस, खुफिया निदेशक तुलसी गैबार्ड और अन्य उच्च अधिकारी भी शामिल थे।
लीक हुई बातचीत के मुख्य बिंदु
- 15 मार्च को हूथियों पर हमले की योजना बनाई गई थी, जो डोनाल्ड ट्रंप के कार्यभार संभालने के बाद पहला हमला था।
- इस चर्चा में अमेरिका और यूरोप के व्यापार मार्गों की सुरक्षा और ईरान की भूमिका पर भी बात हुई।
- जेडी वांस ने चिंता जताई कि अमेरिका को यूरोप को “फिर से बचाने” की जरूरत क्यों पड़ रही है।
- पीट हेगसेथ ने कहा कि “यह हूथियों पर नहीं, बल्कि अमेरिका की शक्ति फिर से स्थापित करने के लिए है।”
- हमले से पहले सेना को F-18 लड़ाकू विमान और MQ-9 ड्रोन तैनात करने के आदेश दिए गए थे।
हमले के दिन की बातचीत
- 15 मार्च को सुबह 11:44 AM पर ऑपरेशन शुरू हुआ।
- 12:15 PM पर पहले F-18 लड़ाकू विमान रवाना हुए।
- 2:00 PM पर एक बिल्डिंग गिराने की पुष्टि की गई, जिसमें हूथी आतंकवादी समूह का प्रमुख मिसाइल विशेषज्ञ मारा गया।
- रातभर हमले जारी रहे, और व्हाइट हाउस के स्टाफ ने इसे सफल ऑपरेशन करार दिया।
क्या है इसका प्रभाव?
- इस सुरक्षा उल्लंघन से अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा नीति पर गंभीर सवाल उठे हैं।
- व्हाइट हाउस और पेंटागन लीक की जांच कर रहे हैं।
- रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि यह लीक अमेरिकी सैन्य अभियानों की गोपनीयता के लिए एक बड़ा खतरा साबित हो सकता है।
यह मामला बताता है कि डिजिटल संचार और सुरक्षा को लेकर कितनी सतर्कता जरूरी है।