https://bbc.com/news/articles/c8rk7vyg83xo
जब अटलांटिक पत्रिका के संपादक जेफरी गोल्डबर्ग ने एक चौंकाने वाली रिपोर्ट प्रकाशित की, जिसमें यह खुलासा किया गया कि अमेरिका के शीर्ष अधिकारियों ने गलती से संवेदनशील जानकारी उनके साथ साझा कर दी थी, तब उन्होंने साल की सबसे बड़ी खबर हासिल कर ली। लेकिन इसके साथ ही वह वॉशिंगटन में ट्रंप प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों के निशाने पर भी आ गए।
पिछले कुछ दिनों में, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उन्हें “हारे हुए” और “बेईमान” कहा, जबकि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइकल वॉल्ट्ज ने उन्हें “झूठा” और “नीच” कहा। वॉल्ट्ज ही वह व्यक्ति थे, जिन्होंने गलती से गोल्डबर्ग को इस ग्रुप चैट में जोड़ दिया था।
लेकिन इससे पहले कि वह एक राजनीतिक विवाद का केंद्र बनते, गोल्डबर्ग अपने फोन पर देख रहे थे कि अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो, रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ, सीआईए निदेशक जॉन रैटक्लिफ और राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड सहित शीर्ष कैबिनेट अधिकारी एक सैन्य अभियान के संवेदनशील विवरण, समय और लक्ष्यों पर चर्चा कर रहे थे। उन्हें यह भी एहसास नहीं हुआ कि गोल्डबर्ग इस चैट में मौजूद हैं।
कैसे हुई यह गलती?
बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में गोल्डबर्ग ने बताया कि यह सब तब शुरू हुआ जब उन्हें सिग्नल मैसेजिंग ऐप पर एक संदेश मिला। यह ऐप पत्रकारों और सरकारी अधिकारियों के बीच लोकप्रिय है क्योंकि इसमें एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग होती है। उन्हें माइकल वॉल्ट्ज के नाम से एक अकाउंट से मैसेज मिला, जिसे पहले तो उन्होंने मज़ाक समझा।
“काश, इसमें जॉन ले कार्रे (ब्रिटिश जासूसी उपन्यासकार) जैसी कोई दिलचस्प साजिश होती,” उन्होंने मज़ाक में कहा। “लेकिन वॉल्ट्ज ने मुझसे बात करने को कहा। मैंने हां कर दिया। और अगली चीज़ जो मुझे पता चलती है, मैं अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा टीम के साथ एक अजीब चैट ग्रुप में हूं।”
वॉल्ट्ज ने इस गलती की जिम्मेदारी ली और कहा कि उन्होंने गलती से गलत व्यक्ति को आमंत्रित कर लिया था। उन्होंने यह भी दावा किया कि वह गोल्डबर्ग को पहचानते भी नहीं हैं। लेकिन गोल्डबर्ग ने कहा कि वे पहले कई बार मिल चुके हैं, हालांकि उन्होंने अपनी बातचीत के विवरण देने से इनकार कर दिया।
क्या राष्ट्रीय सुरक्षा अधिकारी सिग्नल चैट पर रणनीति बना रहे थे?
गोल्डबर्ग के अनुसार, चैट ग्रुप में भेजे गए संदेशों में यह विवरण था कि एफ-18 लड़ाकू विमान कब उड़ान भरेंगे, बमबारी कब होगी, और तोमहॉक मिसाइल कब दागे जाएंगे।
रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने इन आरोपों को खारिज कर दिया और कहा कि ये “युद्ध योजनाएँ” नहीं थीं और इनमें कोई गोपनीय जानकारी शामिल नहीं थी।
राष्ट्रपति ट्रंप ने हेगसेथ का समर्थन किया और गोल्डबर्ग को “बेईमान” बताया। व्हाइट हाउस ने भी यही तर्क दिया कि यह तकनीकी रूप से “युद्ध योजना” नहीं थी।
गोल्डबर्ग ने कहा, “अगर अमेरिका के रक्षा मंत्री मुझे टेक्स्ट कर रहे हैं और बता रहे हैं कि यमन पर हमला शुरू होने वाला है, कौन से विमान और हथियार इस्तेमाल होंगे और बम कब गिरेंगे – तो यह संवेदनशील और युद्ध-योजना संबंधी जानकारी है।”
व्हाइट हाउस में विवाद और कांग्रेस में जांच की मांग
गोल्डबर्ग के अनुसार, व्हाइट हाउस में यह व्यापक रूप से स्वीकार किया जा रहा है कि वॉल्ट्ज से गंभीर गलती हुई है।
“अगर कोई वायु सेना का कप्तान सीआईए और स्टेट डिपार्टमेंट के साथ काम करते हुए इस तरह से संवेदनशील जानकारी लीक करता, तो उसे बर्खास्त किया जाता और मुकदमा चलता,” उन्होंने कहा।
अब कांग्रेस में डेमोक्रेट्स और कुछ रिपब्लिकन सांसदों ने इस मामले की जांच की मांग की है।
गोल्डबर्ग ने इस विवाद के बीच चैट ग्रुप छोड़ दिया। कुछ पत्रकारों ने इस पर आश्चर्य जताया कि उन्होंने ऐसा क्यों किया।
“एक हिस्सा मेरे अंदर भी था जो और देखना चाहता था कि आगे क्या हो रहा है। लेकिन कई कानूनी और नैतिक मुद्दे थे, जिनके कारण मुझे यह निर्णय लेना पड़ा,” उन्होंने कहा।