तमिलनाडु सीएम एम.के. स्टालिन द्वारा आयोजित ‘निष्पक्ष परिसीमन’ (Fair Delimitation) पर पहली संयुक्त कार्रवाई समिति (JAC) बैठक में कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया की ओर से डी.के. शिवकुमार ने भाग लिया।

शनिवार को चेन्नई में पांच राज्यों के मुख्यमंत्रियों और नेताओं की इस बैठक का उद्देश्य नवीनतम जनगणना के बजाय 1971 की जनगणना के आधार पर लोकसभा क्षेत्रों के परिसीमन के प्रस्ताव का विरोध करना था। कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार ने इसे “देश के हित में लिया गया निर्णय” बताया।
दक्षिणी राज्यों की सीटों में कटौती को लेकर चिंता
शिवकुमार ने कहा कि यह बैठक परिसीमन प्रक्रिया के खिलाफ एकजुट होकर विरोध शुरू करने का पहला कदम है, क्योंकि इससे जनसंख्या नियंत्रण में सफल राज्यों की सीटें घट सकती हैं, जबकि उत्तर भारत के राज्यों की संख्या बढ़ सकती है।
चेन्नई हवाई अड्डे पर मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा, “मैं हमेशा कहता हूँ कि एकजुट होना एक नई शुरुआत होती है। आज हम सभी इस मुद्दे पर चर्चा करेंगे और यह प्रगति की दिशा में एक कदम होगा। साथ मिलकर काम करने से हम सफलता प्राप्त कर सकते हैं।”
उन्होंने यह भी कहा, “हम किसी भी हाल में अपने देश और अपनी सीटों के हितों को नुकसान नहीं पहुंचने देंगे। दक्षिण भारत में, हम परिवार नियोजन मानदंडों का पालन कर रहे हैं और आर्थिक रूप से समृद्ध राज्य हैं। हमने देश के हित की रक्षा की है, और यह हमारे लिए कोई सजा नहीं बननी चाहिए।”
शिवकुमार ने आगे कहा, “हम इस लड़ाई को आगे ले जाएंगे और सुनिश्चित करेंगे कि हमारी संसदीय सीटें न घटें। यह व्यक्तिगत लड़ाई नहीं, बल्कि देश के लिए लड़ी जा रही लड़ाई है। देश में सबसे अधिक साक्षरता दर वाले कुछ राज्य एकजुट हो रहे हैं, और हमें यह देखना होगा कि हमारी आर्थिक प्रगति को ध्यान में रखा जाए।”
कर्नाटक कांग्रेस का परिसीमन पर रुख
25 जुलाई 2024 को कर्नाटक विधानसभा ने 2026 की जनगणना के आधार पर लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों के परिसीमन के प्रस्ताव के विरोध में एक प्रस्ताव पारित किया।
इस प्रस्ताव में केंद्र सरकार से अनुरोध किया गया कि लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों की संख्या को 1971 की जनगणना के आधार पर ही निर्धारित किया जाए।
कर्नाटक के क़ानून मंत्री एच.के. पाटिल ने कहा, “यह प्रस्ताव कर्नाटक के हितों की रक्षा के लिए और दक्षिण भारतीय राज्यों के साथ अन्याय को रोकने के लिए आवश्यक है।”
वित्तीय और राजनीतिक नुकसान की आशंका
कर्नाटक सरकार को चिंता है कि 15वें वित्त आयोग और एक नई जनगणना के आधार पर वित्तीय और राजनीतिक नुकसान हो सकता है।
राजस्व मंत्री कृष्ण बैरे गौड़ा ने 2024 में विपक्षी शासित दक्षिण भारतीय राज्यों के वित्त मंत्रियों की बैठक में कहा, “1971 में संविधान में संशोधन कर संसद में सीटों की संख्या को फ्रीज किया गया था, ताकि जनसांख्यिकीय प्रगति करने वाले राज्यों को दंडित न किया जाए। लेकिन अब हमें लग रहा है कि इस मुद्दे को फिर से खोला जा सकता है।”
उन्होंने आगे कहा, “अगर परिसीमन आगामी जनगणना के अनुसार हुआ, तो संभवतः हम (दक्षिणी राज्य) संसद में अपने प्रतिनिधित्व को खो देंगे।”
उन्होंने यह भी चिंता जताई कि “एक तरफ हमारा आर्थिक योगदान बढ़ रहा है, और दूसरी तरफ हमारी राजनीतिक हिस्सेदारी कम होने की संभावना है।”
गौड़ा ने कहा, “संघवाद, निष्पक्षता और सभी राज्यों के मुद्दों का सम्मान करने का विषय अब और भी महत्वपूर्ण हो गया है। 16वें वित्त आयोग से जो भी निर्णय लिया जाएगा, वह हमारे राजनीतिक संघवाद पर गहरा प्रभाव डालेगा। अगर हमें अपने आर्थिक और राजनीतिक प्रतिनिधित्व को संरक्षित करना है, तो यह न्याय पाने की एक लंबी लड़ाई हो सकती है।